चिल्ला वैसे अति आधुनिक गांव है। इसके पास ही राज्य सरकार ने आईटी सिटी और एजुकेशन सिटी बसाई है। गांव की दहलीज पर ही इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च जैसा देश का नामी संस्थान है। यहां पर साइंस में रोज नई-नई खोज होती है और लोगों के अंधविश्वास तोड़े जाते हैं। गांव के लोग भी पढ़े लिखे हैं। इस क्षेत्र में गांव वालों की धाक है। वही इस गांव में सदियों पुरानी मान्यता भी निभाई जाती है।
दिवाली वाले दिन पशु हो गए थे घूम जब मिले तो जश्न हो चुका था पूरा।
गांव के एक व्यक्ति के अनुसार उनके बुजुर्ग बताते थे कि कई साल पहले दिवाली की पूजा होने वाली थी। उसी दिन शाम में गांव के जो पशु चढ़ने के लिए छोड़े गए थे वह घर नहीं आए। इसके बाद है पूरा गांव पशुओं की तलाश में जुट गया। देर रात पशु मिले लेकिन तब तक दिवाली मनाई जा चुकी थी। इसके बाद गांव के लोगों ने पशु मिलने की खुशी में त्यौहार के अगले दिन दिवाली का जश्न मनाया। तब सेगांव में आज तक इसी तरीके से यह पर्व मनाया जा रहा है। एक व्यक्ति ने बताया कि दीपावली के अगले दिन गांव में भव्य मेला लगता है। इसके बाद पूरे गांव में जश्न मनाया जाता है। रिश्तेदार भी उनके गांव में आते हैं। अब यह गांव सोशल मीडिया पर इस वजह से खूब चर्चा बटोर रहा है।
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