लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय/Lal Bahadur Shastri biography in Hindi.

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लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे। 18 महीने के कार्यकाल में उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और ईमानदारी से देश के काफी आगे बढ़ाया था। एक समान ने परिवार में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद तब पहुंचकर फल की गरिमा को चार चांद लगाने वाले दूध और हरित क्रांति के जनक लाल बहादुर शास्त्री देश के उन नेताओं ने से यह रहे जिन्होंने अपने हर कृषि से सभी को प्रेरित किया और कठिनाई ने भी कसम वफा लंका सबक दिया।
लाल बहादुर शास्त्री की जीवन परिचय।
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव तथा माता का नाम रामदुलारी देवी था। लाल बहादुर शास्त्री के पिता एक के सरकारी शिक्षक थे। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे। उनके विचारों से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने बीच में पढ़ाई छोड़कर असहयोग आंदोलन में भाग लिया जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
हरित क्रांति के जनक के लाल बहादुर
जुलाई 1964 में जब सी सुब्रमंयम देश के आजम कृषि मंत्री बने तो उन्होंने खिंचाई और खनिज उर्वरक ओके साथ साथ ज्यादा पैदावार वाली किशन ओके विचार को अपना भरपूर समर्थन दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने मेक्सिको से गेहूं के बीजों के आयात की मंजूरी दी और इस समय की मांग करार दिया।
2 दिसंबर 1956 की रेल दुर्घटना का स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए इन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। साफ सुथरी छवि और योग्यता के कारण देश के दूसरे प्रधानमंत्री बनने वाले शास्त्री जी का प्रधानमंत्री कल बेहद चुनौती पूर्ण रहा। पाकिस्तान ने 1965 में अचानक के शाम 7:00 बजे देश पर हवाई हमला कर दिया। परंपरा अनुसार राष्ट्रपति ने आपात बैठक के बुला ली जिसमें तीनों रक्षा अंगों के प्रमुख और मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल थे। विचार विमर्श के बाद तीनों सी प्रमुखों ने सारी वस्तु स्थिति समझते हुए पूछा सर, क्या हम है? शास्त्री जी ने एक वाक्य में तत्काल उत्तर दिया, आप देश की रक्षा कीजिए और हमें बताएं कि क्या करना है? युद्ध में शास्त्री जी ने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए सीधी बात की जिसके परिणाम स्वरूप पर युद्ध में भारतीय सेवा ने पाकिस्तान को बुरी तरह से रौंद डाला। जय जवान जय किसान के उद्घोष से देश को आगे बढ़ाया। शास्त्री जी खुद कष्ट उठाकर दूसरों को सुखी देखने में आनंद मिलता था। एक बार की घटना है जब शास्त्री जी ने रेल मंत्री थे और वह मुंबई जा रहे थे। उनके लिए प्रथम श्रेणी का डिब्बा लगा था। दी शास्त्री जी बोले डिब्बे में काफी ठंडक है वैसे बाहर गर्मी है। उनके का कैलाश बाबू ने कहा जी इसमें कलर लगा दिया गया है। शास्त्री जी ने अपनी निगाह से उन्हें देखा और आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कलर लग गय। उन्होंने कहा क्या बाकी सभी लोग जो गाड़ी में चल रहे हैं उन्हें गर्मी नहीं लगती होगी।
शास्त्री जी ने आगे कहा कायदा तो यह है कि मुझे भी थर्ड क्लास में चलना चाहिए लेकिन उतना तो नहीं हो सकता पर जितना हो सकता है उतना ही तो करना चाहिए। बड़ा गलत काम हुआ है। आगे गाड़ी जहां भी रुके वहां कूलर निकलवाई । मथुरा स्टेशन का गाड़ी रुकी गॉड फूल निकलवाने के बाद ही गाड़ी आगे बढ़ी। जब देश में अनाज की कमी हो गई थी और विदेश से अन्य मंगवाना पड़ा था तो उसका हल निकालने के लिए उन्होंने सप्ताह में एक दिन उपवास करने का अपील की तो पूरे देश में इसका असर हुआ और देश कर्मियों ने ढाबे तक बंद रखकर सहयोग दिया। शास्त्री जी ने स्वयं भी उपवास किया था।
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