पौराणिक कथा इस प्रकार है।
पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में माहिष्मती नाम के नगर में इंद्रसेन नाम के एक राजा थे। उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका था। एक दिन उन्हें सपना आया जिसमें उन्होंने देखा कि उनके माता-पिता नर्क में रहकर अपार कष्ट भोग रहे हैं। इस स्वप्न से राजा बहुत चिंतित हो उठे। उन्होंने विद्वान ब्राह्मण और मंत्रियों को बुलाकर बात की जिसके बाद ब्राह्मणों ने उन्हें बताया कि है राजन यदि आप इंदिरा एकादशी का व्रत करें तो आपके पितरों को मुक्ति मिल जाएगी। इस दिन अगर भगवान शालिग्राम की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कर कर दक्षिणा दे। इससे आपके माता-पिता स्वर्ग चले जाएंगे। राजा ने ब्राह्मणों की बात मानकर विधि पूर्वक के इंदिरा एकादशी का व्रत किया। रात्रि में जब हुए सो रहे थे तभी भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि हे, राजन तुम्हारा व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है। इस प्रकार राजा के व्रत के प्रभाव से उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई। इंदिरा एकादशी व्रत करने से आदमी के जन्मों जन्म के पाप धुल जाते हैं। इस व्रत में भगवान शालिग्राम के मूर्ति की पूजा की जाती है।