बकरा ईद क्यों मनाई जाती है? जाने इसके पीछे की कहानी।

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बकरा ईद मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। एक बार की बात है कि पैगंबर रात में गहरी नींद में सोए हुए थे कि उन्हें स्वप्न में आया कि तुम अपनी सबसे प्यारी चीज का बलिदान दो। जब पैगंबर की नींद खुली तो सुबह उसने 100 बकरे का बलिदान दिया। रात में जब भी सोया तो उसे स्वप्न आया कि तुम अपनी सबसे प्यारी चीज का बलिदान करो। पैगंबर 3 दिन में 200 बकरे का बलिदान दिया। रात में फिर उसे सपना आया कि तुम अपनी सबसे प्यारी चीज का बलिदान करो।
पैगंबर सोचने लगा कि हमारी सबसे प्यारी चीजों मेरा बेटा है।
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अल्लाह यह देखना चाहता था कि पैगंबर को सबसे ज्यादा प्रेम किससे है अपने बेटे से या अल्लाह से।
पैगंबर ने अपने बेटे की कुर्बानी।
पैगंबर ने अपनी बीवी से कहा कि आज मुझे किसी दावत पर जानी है इसलिए मेरे बेटे स्माइल हो प्यार कर दो उसको भी साथ में ले जाएंगे। पैगंबर की बीवी बेटे इस्माइल को तैयार कर पैगंबर के साथ भेज दिया। पैगंबर ने अपनी बीवी या अपने बेटे इस्माइल से यह नहीं बताया कि वह उस की कुर्बानी देने जा रहा है।
इसके बाद शैतान ने पैगंबर की पत्नी के पास गया और कहा कि तुम्हें पता है कि तुम्हारा बेटा इस्माइल दावत पर नहीं बल्कि अल्लाह की राह पर कुर्बान होने जा रहा है। पैगंबर की पत्नी ने कहा कि तुम झूठ बोल रहे हो तो शैतान ने कहा कि मैं सही बोल रहा हूं। तुम्हारा बेटा अल्लाह की राह में कुर्बान होने जा रहा है तब उनकी पत्नी ने बोली की अगर मेरा बेटा अल्लाह की राह पर कुर्बान होने जा रहा है तो मैं बहुत खुशनसीब हूं क्योंकि अल्लाह की राह में कुर्बानी देने से मैं बहुत खुश हूं। ऐसे कामों के लिए एक बेटा तो क्या मैं 100 बेटे को भी कुर्बान करने को तैयार हूं।
अब शैतान बेटे इस्माइल के पास गया और कहा कि क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारा पिता दावत पर नहीं बल्कि तुम्हें अल्लाह की राह पर कुर्बान करने के लिए ले जा रहा है। तब इस्माइल ने कहा कि मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मेरे पिता अल्लाह की राह पर कुर्बान करने के लिए मुझे ले जा रहे हैं।
तब शैतान पैगंबर के पास गया और कहा कि क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे सबसे प्यारी चीज बेटा का कुर्बान अल्लाह कबूल करेगा या नहीं। तब पैगंबर ने शैतान को पत्थर मार मार कर भगा दिया।
बेटे को कुर्बानी देने के पहले इस्माइल ने कहा कि पिता जी जब आप मेरा कुर्बानी देना तो मेरा हाथ पैर बांध देना। और अपने आंखों पर भी पट्टी बांध लेना क्योंकि हो सकता है कि आप भाव हो जाए और आपका कुर्बानी विफल हो जाए।
पैगंबर ने यही किया अपने आंखों पर पट्टी बांध लिया और इस्माइल के गर्दन पर चाकू चलाने लगा। जब उसके गर्दन से लहू निकलने लगा तब पैगंबर ने अपनी आंखों से पट्टी हटाया। उसने देखा कि उसका बेटा इस माई जिंदा है और उसकी जगह पर एक लंबे पूछ वाला भेड़ मरा पड़ा है। तब अल्लाह ने आवाज दी कि पैगंबर यह कुर्बानी तुम्हारा हमेशा याद किया जाएगा।
उस दिन से आज तक के यह बकरा ईद की कुर्बानी मनाई जाती है।
आज भी लोग मक्का मदीना में बकरा ईद के दिन शैतान को पत्थर मारते हैं।
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