माता के नौ रूप निम्नलिखित हैं।
1, शैलपुत्री, 2, ब्रह्मचारिणी, 3, चंद्रघंटा, 4, कुष्मांडा, 5, स्कंदमाता, 6, कात्यायनी,7, कालरात्रि, 8, महागौरी, 9, सिद्धिदात्री,
माता के इन रूपों का ही ध्यान और पूजन किया जाता है। आज अष्टमी तिथि है महागौरी के पूजन का दिन,
माता महागौरी के बारे में कुछ प्रचलित कथाएं इस प्रकार है। माता महागौरी एक बार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या करने लगी। काफी दिनों तक तपस्या में लीन होने के कारण उनके शरीर का रंग काला पड़ गया। भगवान शिव माता के तपस्या से खुश हो गए और माता के शरीर को गंगा जल से धोया जिससे इनका शरीर कांति में हो गया यानी गौर वर्ण का हो गया। उसी समय से इनका नाम गौरी पड़ा।
दूसरी कथा, एक बार की बात है कि एक सिंह बहुत भूखा था। वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा अचानक उसे माता गौरी तपस्या पर बैठी दिखी और उसका भूख और बढ़ गया। सिंह माता के तपस्या से उठने का इंतजार करने लगा इस प्रकार भूख के कारण उसकी दशा बिगड़ती गई। जब माता ने तपस्या से उठा तो उसने सिंह की दशा को देखकर दया आ गई और उस समय से उसने उस सिंह को अपना सवारी बना लिया।
आदि शक्ति के रूप है, माता पार्वती का ही रूपए नौ देवियों के रूप में दिखाई देता है।
माता महागौरी का दूसरा नाम श्वेतांबरी भी है ।
माता का सवारी श्वेत रंग का बृषक है तथा मां का आभूषण भी हुए थे इसलिए इन्हें श्वेतांबरी भी कहते हैं। मां महागौरी महादेव की अर्धांगिनी है। माता पार्वती आदिशक्ति की रूप है इन्हीं के नौ रूप हैं। आप यह भी बढ़ सकते हैं।2022 मां दुर्गा का महत्व