जिउतिया व्रत की कथा।

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जब मा अपने पुत्रों के लंबी उम्र के लिए जो व्रत करती है उसे ही हम जिउतिया व्रत कहते हैं। इस दिन हर मां अपने पुत्रों के लिए पूरे दिन उपवास रखती है तथा शाम को एक पौधा से भेंट कर यह संदेश देती है कि मेरे पुत्रों का जीवन लंबी करना यह संदेश देकर वह पानी पीती है। यह त्योहार प्रत्येक साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। आज जियूतिया पर्व है यानी 6 अक्टूबर 2023 को,  यहां पर्व पूरे बिहार में जिउतिया व्रत बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस वक्त व्रत को करने के पहले मां अपने पुत्रों की संख्या के बराबर यानी जिस मां को जितने पुत्र होते हैं उतनी वह जिउतिया धारण करती है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार कोई मां धागा का बना हुआ जूतियां धारण करती है तो कोई मां सोने या चांदी का जिउतिया भी धारण करती है।
जिउतिया के दिन मां पूरे दिन उपवास रखती है तथा शाम को एके बरियार नाम का पौधा से संदेश भेजती है कि उसका पुत्र का जीवन लंबी हो।
जिउतिया व्रत की कुछ कहानियां भी इस प्रकार है।
किसी समय में एक चिल और एक सियारिन दोनों बहन हुआ करती थी। बात जिउतिया के दिन का है जब चिल पूरे दिन उपवास से रखी थी और उसकी बहन सियारिन चुपचाप बैठ कर मांस का टुकड़ा खा रही थी। जब चिल ने पूछा कि बहन कट कट की आवाज कहां से आ रही है तब बहन सियारी ने बोली की दीदी मैं भूखी हूं इसलिए इधर-उधर करवट करने से मेरी हड्डियां बज रही है। सियारी झूठ बोली क्योंकि वह मांस की हड्डी खा रही थी। व्रत के समाप्ति के बाद ऐसा हुआ कि सियारिन के सारे बाल बच्चे मर गए और उसकी बहन चील की सारी संताने दीर्घायु हो गई। उसी दिन से व्रत धारी पूरे दिन उपवास रखती है और व्रत को करती है। क्योंकि इस व्रत में बिल्कुल उपवास रहना पड़ता है और अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना करते हुए मां उपवास रखती है। ऐसी बहुत सी कहानियां है जो जिउतिया महाराज की बारे में कहा जाता है।
बिहार तथा उत्तर प्रदेश में किस प्रकार मनाया जाता है यह त्यौहार।
वैसे महिलाएं जिनके पुत्र होते हैं वह महिलाएं इस त्यौहार को रखती है। पूरे दिन उपवास रहना होता है तथा शाम को एक के बैरियर नाम के पेड़ के पास जाकर अपना व्रत खोलती है। इस पेड़ के पास जाकर अपने पुत्र के लिए लंबी आयु मांगती है। इस पर्व का सबसे बड़ा बात यह है कि आज के दिन कोई भी माता किसी भी टिका को नहीं तोड़ती है। इसलिए इस पर्व का दूसरा नाम खरह जिउतिया भी है।
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