स्वतंत्रता दिवस , हर घर तिरंगा, तिरंगा का इतिहास जाने।

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राष्ट्रीय ध्वज हर वर्ष 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस तथा 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर देशभर में ठहराया जाता है। इस बार आजादी के 75way अमृत महोत्सव के अवसर पर तो हर घर तिरंगा लहर चली है। हालांकि बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि तिरंगा में तीनों रंगे सीख देती है। तिरंगा के रंगो का मतलब जानकर आप एक नेक नागरिक बन सकते हैं।
केसरिया रंग
साहसी बनो, केसरिया रंग वीरता का प्रतीक है। यह बताता है कि जीवन में कोई भी मुश्किल आ जाए तो तुम्हें डरना नहीं चाहिए और साहस से काम लेना चाहिए।
सफेद रंग,
शांत और विवेक मानना सीखो, सफेद रंग शांति का प्रतीक है। इससे तुम सीख सकते हो कि दूसरों से लड़ाई झगड़ा करने में कोई बुद्धिमानी नहीं। खुद भी शांति से जियो और दूसरों को भी जीने दो। मुसीबत के समय भी शांत रहकर ही उसे उचित ढंग से निपटा जा सकता है। यह सच्चाई का प्रतीक है और सदा सच बोलना सिखाता है।
हरा रंग,
पर्यावरण की रक्षा करो, हरा रंग विकास व संपदा के साथ ही हरियाली का प्रतीक है। यह तुम्हें प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है। आजकल लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए पेड़ों को काट रहे हैं तथा जानवरों को भी मार रहे हैं। इनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
चक्र,
समय का सदुपयोग करो, चक्र को 24 भागों में बांटा गया है। इससे हम सीख सकते हैं कि हमारे पास दिन में सिर्फ 24 घंटे होते हैं और इनका सदुपयोग करके ही हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। इसलिए हमेशा समय का कद्र करना चाहिए।
ध्वज दंड,
हार मत मानो, ध्वज दंड हमें हर मुसीबत के समय अडिग खड़े रहना सिखाता है। थोड़ी सी परेशानी आने पर हार मान लेते हैं। वी मुझसे रिश्ता का गुण सीखे कर जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।
राष्ट्रीय ध्वज की इतिहास,
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में मान्यता दी गई। इसकी पहली रूपरेखा 1921 में पिंगली वेंकैया ने तैयार की थी। यह दो रंगों का बना था लाल और हरा जो देश के दो प्रमुख समुदायों का प्रतिनिधित्व करता था।
गांधीजी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति को संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए। चरखा दूसरी तरफ से देखने में उल्टा दिखता था इसलिए इस पर आपत्ति की।
17 जुलाई 1947 को फ्लाइट कमेटी द्वारा बदरुद्दीन तैयबा जी के बनाए डिजाइन को स्वीकृति मिली। इसके अनुसार तिरंगा खादी के कपड़ों से ही बना होना चाहिए। इस तिरंगे की पहली कॉपी को बदरूदीन की पत्नी सुरैया ने तैयार किया था।
तिरंगे की कुछ खास बातें,
आजाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगा पहली बार काउंसिल हाउस यानी संसद भवन पर 15 अगस्त 1947 को 10:30 बजे फहराया गया। चुकी 15 अगस्त को जवाहरलाल नेहरू व अन्य नेता राजकाज के कामों में बहुत अधिक व्यस्त थे इसलिए लाल किले पर नेहरू जी ने पहली बार 16 अगस्त को सुबह 8:30 बजे तिरंगा फहराया था।
तिरंगे को पूर्व में 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को छोड़कर सार्वजनिक रूप से हराने का या प्रदर्शित करने का अधिकार नहीं होता था।
30 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि हर भारतीय राष्ट्रध्वज को किसी भी दिन सम्मान पूर्वक फहरा सकता है।
इस अधिकार के लिए नवीन जिंदल ने 10 वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी।
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लोगों को संदेश दिया है कि 15 अगस्त को घर घर पर तिरंगा फाड़ आना चाहिए। इतना ही नहीं वह यह भी कहे हैं कि तिरंगा फहराने के बाद उसका फोटो अपलोड करने के लिए इसके लिए उन्होंने एक लिंग के दिया हुआ है। हर घर तिरंगा के आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आप तिरंगे का फोटो अपलोड कर सकते हैं।
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