15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर निबंध।

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जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारा देश सदियों से गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा। आज ही के दिन यानी 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त हुआ था। इसलिए हम लोग आज के दिन आजादी की खुशी मनाते हैं। 15 अगस्त हमें लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की सहादत की याद दिलाती है।
15 अगस्त 1947 को सारे भारतवर्ष में स्वतंत्रा दिवस किस धूमधाम से मनाया गाया होगा।

 इसे वही जानते हैं जिन्होंने अपनी आंखों से देखा होगा। लगता था हमारी धरती के भाग  फिर से जाग उठे हैं। क्या गांव क्या नगर क्या खेत क्या पहाड़ क्या रेगिस्तान सर्वत्र आनंद का लहरा लहरा उठा था। गली गली में उमंगों के कुसुम बोल रहे थे। जिस प्रकार बहुत दिनों की बीमारी से मुक्त व्यक्ति को भोजन अच्छा लगता है, उसी प्रकार बहुत दिनों तक अंधेरे बंद कमरे में कैद रहने के बाद खुली हवा जितनी मन भावनी लगती है। वही स्थिति उस दिन भारत में बच्चे बच्चे की थी। हमारे मन प्राणों में एक रागिनी बज रही थी।
बड़ी मुश्किलों से मिला अधिकार।
स्वतंत्रता के बाद भी एक समय था जब स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती के अत्री से आम भारतीयों को व्यक्तिगत या सार्वजनिक रूप से राष्ट्र ध्वज का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं थी। किंतु लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 30 जनवरी 2004 को सभी भारतीय नागरिकों को वर्ष में 365 अपने घरों फैक्ट्रियों और कार्यालय पर राष्ट्र ध्वज हराने का निर्णय दिया था। इस संदर्भ में जारी निर्देशों के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक पूरे पूरे साल राष्ट्र ध्वज फराह सकता है बशर्ते इसका किसी भी तरह से जान बूझकर अपमान न होता हो।

        

 स्वतंत्रता के महत्व को समझाने वाले भाषण दिए जाते हैं। मिठाइयां खिलाई और खाई जाती है, नाच गाने कवि गोष्टी मुशायरे आदि के विशेष कार्यक्रम रहते हैं। घर बाहर बालिकाओं से सजाया जाता है। नगर के मुख्य द्वारों पर विशेष सजावट रहती है। लगता है की एक बार पुणे समय से पूर्व ही दीपावली आ गई हो। होटलों में गजब बहार होती है। पत्रिका हेतु रंग-बिरंगे चित्र तरह-तरह की कहानियों और निबंधों से सज जाती है।

15 अगस्त आनंद और त्याग का मंगल पर्व तो है ही साथ ही हमारी वेदना और पचोर हमारे आत्म दर्शन एवं आत्म परीक्षण का स्मरण दिवस भी है। यदि हम अपने इस कर्ज में वर्तमान से सचेत नहीं हुए तो हमारी आजादी की नैया इसी में फस जाएगी जिससे
 उबर पाना बहुत ही मुश्किल है। यदि हमने समय रहते समस्याओं की अंध घाटियों को पार नहीं किया तो हमारी स्वतंत्रता का सूरज डूब जाएगा और तब पता नहीं कितनी लंबी रातों के बाद पुनः नया सवेरा निकलेगा।
हमें सदा स्मरण रखना चाहिए कि शताब्दियों की साधना का यह पौधा अक्षय वट तभी बन सकता है जब हम अपने स्वार्थों के घेरे में ना आएं। उत्सव हमारे रूम रूम से उठे इसके फंक्शन और शाम गोवर्धन के लिए हम त्याग और तपस्या के agneepath की यात्रा नियम तक जारी रखें।
झंडा फहराया जाता है।
इस दिन हम 

एक जगह पर झंडा फहराते हैं। चाहे विद्यालय में हो या महाविद्यालय या आवासीय जगहों पर भी हम झंडा फहराते हैं।
खुशी की मिठाइयां।
15 अगस्त को हम जहां भी झंडा फहराते हैं वहां मिठाइयां खिलाते हैं और खुद खाते हैं। यह मिठाईयां खुशी की मिठाईयां होती है।
राष्ट्रीय गीत और कविताएं का आयोजन होता है।
विद्यालय और महाविद्यालय या सरकारी कार्यालय में हम झंडा पारा करन के बाद, कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। राष्ट्रीय गीत से शुरू होकर कविता और उपदेश आत्मक भाषण दिए जाते हैं। स्कूल और कॉलेज में बच्चे नुक्कड़ नाटक भी खेलते हैं। आज के दिन हर जगह खुशियां ही खुशियां देखने को मिलती है।
स्वतंत्रता दिवस एक बलिदान दिवस भी है।
अंग्रेजों को भारत से भगाने तथा स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हमारे लाखों वीर शहीद हो गए हैं। लाखों बलिदान के बाद हम 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुए। इसलिए आज के दिन हम बलिदान दिवस मनाते हैं। लाखों शहीदों के बलिदान का कारण ही हम स्वतंत्र हुए हैं।
15 अगस्त और 26 जनवरी मनाने का कारण,
हम जानते हैं कि हमारा देश है 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त हुआ। इसी कारण 15 अगस्त को राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है। 15 अगस्त को ही हम अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त हुए थे। इसलिए पूरे देश में बड़ी धूमधाम से खुशी मनाते हैं।लेकिन हमारे देश का नियम कानून 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया। इसी दिन हमारा देश पूर्ण स्वतंत्र हुआ था। इसलिए हम सब भारतीय गणतंत्र दिवस भी प्रतिवर्ष मनाते हैं। 26 जनवरी को हमारे देश में अपना संविधान लागू हुआ था। हमारा देश 26 जनवरी को पूर्ण स्वतंत्र हुआ था। इसी कारण हम भारतवासी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में खुशी जाहिर करते हैं।
77 वे स्वतंत्र दिवस के लिए तैयारियां पूरी, प्रधानमंत्री लाल किले से समारोह का नेतृत्व करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को दिल्ली के ऐतिहासिक के लाल किले से 77 वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में देश का नेतृत्व करेंगे। रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि लाल किले पर समारोह की तैयारियां पूरी हो गई है और इसका हिस्सा बनने के लिए देश भर से विभिन्न देशों से जुड़े अट्ठारह सौ लोगों को उनके जीवन साथी के साथ विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और इस ऐतिहासिक स्मारक की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे।



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