होली 2023का कब है, जाने होलिका दहन का शुभ मुहूर्त।

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होली 8 मार्च 2023,
होलिका दहन 7 मार्च 2023 को है।

होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जिसका स्मरण करते ही मन में उल्लास आ जाते हैं। इस त्यौहार में हम बहुत ही मौज मस्ती करते हैं यह रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। क्योंकि हम होली में रंगों से होली खेलते हैं। इस दिन हम लोग आपस में मिलकर एक दूसरे को अभी लगाते हैं रंग लगाते हैं इसे हम लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। होली के दिन आपसी ईर्ष्या द्वेष बुलाकर हम गले मिलते हैं एक दूसरे को अभी और रंग लगाते हैं। यह त्यौहार बसंत ऋतु में मनाई जाती है। बसंत ऋतु अपने आने की खबर देता है प्रकृति रानी बहुत ही खुश हो जाती है बसंत ऋतु की आने की तिथि फाल्गुन पूर्णिमा पर बहुत ही उत्सव होता है।

होली क्यों मनाया जाता है?
गेहूं के बाल के अग्रभाग को होली कहते हैं। किसानों का गेहूं का फसल बसंत ऋतु में तैयार होता है इसी कारण किसान खुश होकर होली धूमधाम से मनाते हैं।
होली के बारे में पौराणिक  प्रचलित कथाएं
हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रहलाद था जो विष्णु भक्त था। इसी कारण उसके पिता उसे जान से मारना चाहता था। प्रहलाद विष्णु भक्त होने के कारण भगवान उसकी रक्षा करते और हमेशा बाल-बाल बच जाता। जब हिरण्यकशिपु अपने पुत्र को नहीं मार पाया तब उसे एक अनोखा उपाय सूझा। फिर न काशीपुर का की बहन का नाम होली का था और उसे वरदान था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती है। इसी कारण हिरण्यकशिपु ने एक अग्निकुंड में अपनी बहन के गोद में प्रहलाद को बिठा दिया। फिर क्या था होलिका जल गई और पहलाद बच गया। लेकिन जब हिरण्यकशिपु अपने पुत्र को गर्म लोहे के साथ बांधा तब उस स्तंभ से नरसिंह अवतार हुआ और हिरण्यकशिपु का वध हुआ। उसी समय से होलिका दहन का प्रचलन हुआ। होलिका के जलने से के कारण आज भी हम होलिका दहन करते हैं। पाप पर पुण्य का प्रचलन अंधकार पर उजाला का तथा बुराई के ऊपर अच्छाई का जीत है।
ब्रज की होली बड़ी प्यारी।
ब्रज की होली बड़ी प्यारी होती है। ऐसा कोई इंसान नहीं जो प्यार भरी रंगों में नौरंगा हो। सब जग होरी ब्रज में होरा, दुनिया में होली एक दिन मनाई जाती है लेकिन ब्रज में फागुन चढ़ते ही रंग और अबीर हवा में उड़ने लगते हैं। बसंत पंचमी से ही मथुरा और ब्रज में रंगोत्सव शुरू हो गया है।
ब्रज में लात मार होली
मथुरा में लठमार होली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। यह बरसाना की विश्व विख्यात लठमार होली, होली के 1 दिन पहले मनाई जाती है। इस होली में स्त्रियां लात मारती है और रंग बरसाती है और लोग बड़ी खुशी से सह लेते हैं।
गोकुल वृंदावन में छड़ी मार होली
गोकुल में इस साल 16 मार्च को छोरी मार होली मनाई जाएगी। भगवान कृष्ण के जन्म स्थल पर उनके जन्म का उत्सव होली के रूप में मनाई जाती है।
होली के दिन भूलकर भी ये गलतियां ना करें।
1, दूसरे पर कीचड़ ना उठा ले।
2, किसी पर भी पत्थर ना फेंके।
तारी दारू पीकर शर्मनाक गाने और गाली गलौच ना करें।
3, गांजा भांग और चरस का सेवन कृपया न करें।
4, वर्ग गज जातिगत तथा संप्रदाय गाते विद उसका भी ना फैलाएं।
5, होली एक प्रीति का फार्म है इसलिए शत्रुता के विरुद्ध मित्रता गंदगी के विरुद्ध स्वच्छता एवं अनिता के पर्याय है होली इसलिए कृपयाबातों का अमल करें और धूमधाम से होली मनाएं।

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